सत्य खबर जींद
जींद में शुक्रवार को नौकरी बहाली के लिए प्रदर्शन कर रहे पीटीआई शिक्षकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। दरअसल पीटीआई शिक्षकों में से एक ने आत्मदाह की कोशिश की थी, पुलिस ने उसे रोका, इस दौरान पीटीआई शिक्षकों और पुलिस के बीच जमकर हाथापाई हुई। जब बात हाथापाई से ऊपर चली गई तो पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया और पीटीआई शिक्षकों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।
घटना शुक्रवार दोपहर के समय की है। जींद में पीटीआई शिक्षक धरना प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान धमतान तपा के पूर्व प्रधान रंगीराम धरना स्थल पर पहुंच गए। पुलिस का कहना है कि रंगीराम ने तेल डालकर आत्मदाह की कोशिश की। आत्मदाह से पहले ही पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद दूसरे पीटीआई शिक्षक आ गए। उनके और पुलिस के बीच हाथापाई शुरू हो गई।
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हाथापाई और धक्का-मुक्की के दौरान पुलिस ने उन्हें काफी देर रोका लेकिन जब शिक्षक नहीं माने तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। फिर पुलिस ने शिक्षकों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। वहीं शिक्षकों का आरोप है कि शांति से धरना चल रहा था। पुलिस ने जानबूझकर लाठीचार्ज करते हुए सभी को पीटा है। वहीं डीएसपी कप्तान ने बताया कि धमतान तपा के पूर्व प्रधान रंगीराम ने बर्खास्त पीटीआई के समर्थन में शुक्रवार को धरना स्थल पर आत्मदाह का प्रयास किया। लेकिन पुलिस ने उसे पहले ही पकड़ लिया। उन्होंने बताया कि रोहतक में रंगीराम ने आत्मदाह की चेतावनी दी थी। इसके बाद वह जींद आ गया। वह गाड़ी से उतरा और तेल डालकर आत्मदाह करने लगा। पुलिसकर्मियों ने उसे बचाया। वहीं रंगीराम को हिरासत में ले लिया गया। अभी भी शिक्षक पुलिस प्रशासन के विरोध में नारेबाजी कर रहे हैं।
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पीटीआई शिक्षकों का मामला
वर्ष 2010 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई शिक्षक भर्ती किए गए थे। भर्ती के बाद कुछ लोगों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है। ऐसे में महज मौखिक परीक्षा के आधार पर नियुक्ति कर ली गई। आरोप लगा था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में बुरी तरह असफल रहे। उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए। इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया। इन सबके मद्देनजर हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था। इसके बाद पीटीआई सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। इसके बाद अब पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के फैसले को सहीं बताया था। अर्थात भर्ती को रद्द कर दिया था।
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