अम्बाला। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन से जारी तनाव के बीच भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होने जा रहा है। चीन के नंबर-वन फाइटर प्लेन जे-20 को मात देने के लिए भारत को अगले महीने के आखिरी तक पूरी तरह हथियारों से लेस 6 रफाल फाइटर जेट मिलने जा रहे हैं। रफाल विमान की पहली स्कवाॅड्रन अम्बाला स्थित एयरफाेर्स स्टेशन में तैनात की जाएगी। अम्बाला के 17 गोल्डन एरो स्क्वाॅड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह के नेतृत्व में विमानों की पहली खेप देश में लाई जाएगी। अभी स्क्वाॅड्रन के पायलट फ्रांस में प्रशिक्षण ले रहे हैं। कई पायलटों की प्रशिक्षण अवधि पूर्ण भी हो चुकी है। सूत्राें ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2 जून काे फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लाेरेंस पार्ले के साथ फाेन पर बातचीत में रफाल की डिलीवरी का मुद्दा भी उठाया था। उन्हाेंने आश्वासन दिया था कि डिलीवरी तय समय पर ही की जाएगी। हालांकि, इस बारे में वायुसेना की ओर से काेई टिप्पणी नहीं की गई। बताया जा रहा है कि फ्रांस से भारतीय पायलट ही रफाल को भारत लाएंगे। इसके लिए वन स्टॉप का इस्तेमाल किया जाएगा। यानी फ्रांस से उड़ाने के बाद यूएई के अल डाफरा एयरबेस पर विमान उतरेंगे। यहां पर फ्यूल से लेकर बाकी सभी टेक्निकल चेकअप के बाद रफाल विमान सीधे भारत के लिए उड़ान भरेंगे।
अम्बाला में तैनाती इसलिए… क्योंकि भारतीय वायुसेना अम्बाला को रणनीतिक रूप से सटीक स्थान मानती है। अम्बाला में मिग-21 का एक स्कवाॅड्रन रिटायर हुआ है। उसकी जगह अब रफाल लेगा।
अम्बाला में तैयार किया जा रहा ढांचा: रफाल के लिए अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन पर ढांचा तैयार किया जा रहा है। यहां 18 विमानों के लिए 3 हैंगर तैयार किए जाने हैं। रफाल के लिए अभी पुराने हैंगर के इस्तेमाल की योजना है।
रफाल की ताकत देखिए: अत्याधुनिक हथियारों से भी लेस रफाल मल्टीरोल फाइटर विमान है। हवा से जमीन पर परमाणु हमला करने में सक्षम है। परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम हैं।
- 3700 किलोमीटर है मारक क्षमता।
- 2230 किमी. प्रति घंटे की है रफ्तार।
- 24,500 किलो वजन के साथ उड़ने में सक्षम।
- 36 रफाल जेट में से 30 फाइटर होंगे और छह प्रशिक्षक होंगे। ट्रेनर जेट ट्विन-सीटर होंगे और इनमें फाइटर जेट्स की विशेषताएं होंगी।
एयर मार्शल (रिटायर्ड) रविकांत शर्मा ने बताया कि रफाल फाइटर दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक है। चीन के पास रफाल के मुकाबले का कोई फाइटर नहीं है। लड़ाकू मशीन की रेंज और एयर-टू-एयर रि-फ्यूलिंग के हिसाब से देखें तो यह नागपुर में तैनात होकर भी वही भूमिका निभा सकता है। चीन के पास एडवांस्ड फाइटर्स में जे-10, जे-11 और जे-20 हैं लेकिन ये सभी रफाल के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते। रफाल पांचवी पीढ़ी से आगे का विमान है। चीन ऐसे फाइटर विमान विकसित करने की चाहत रखता है, लेकिन उसकी मशीनें अभी डिजाइन और डेवलपमेंट फेज में ही हैं। ऐसे में रफाल के आने से देश का मनोबल ऊंचा होना स्वाभाविक है। यह वायु सेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा। रफाल की हथियार प्रणालियां, इसकी मीटियोर मिसाइलें व मल्टीरोल कॉम्बैट क्षमता दुश्मन की ताकत को बौना बना देती हैं। रफाल का अम्बाला में आना मायने रखता है। अम्बाला में मिग-21 का एक स्कवाॅड्रन रिटायर हुआ है। उसकी जगह रफाल लेगा। गोल्डन एरो स्कवाॅड्रन बेजोड़ विमान को उड़ाएगा।
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