सत्य खबर चंडीगढ़
प्रदेश में बहुचर्चित खरखौदा शराब घोटाले की जांच कर रही बिना ताकत की एसईटी ने इस मामले में एक और घोटाले की पूंछ पकड़ ली है। अब इस घोटाले की गहराई से विजिलेंस विभाग जांच करेगा। उम्मीद है कि इस जांच में बहुत कुछ निकल कर आएगा। इस जांच के लिए गृह मंत्री अनिल विज ने एक बार फिर से एसआईटी की सिफारिश की है। इस बार अगर उनकी सुझाई गई सिफारिश पर अमल करते हुए सरकार एसआईटी के स्थान पर एसईटी का गठन नहीं करती है तो काफी कुछ बाहर आ सकता है। गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है कि उन्होंने एसईटी की रिपोर्ट को पूरी तरह से मान्य मान लिया है। अब इस मामले में हर उस व्यक्ति के खिलाफ एक्शन होगा जो इस घोटाले में शामिल है।
नियम यह है आबकारी विभाग के माध्यम से हर दो वर्ष में पकड़ी जाने वाली टाप की शराब नष्ट की जानी चाहिए। जो कि एक डीईटीसी के अलावा किसी डीईटीसी ने नष्ट नहीं की है। इस मामले में आगे जांच होगी। मैं इस मामले की जांच विजिलेंस विभाग को रिकमंड कर रहा हूं। इस मामले में एक और एफआईआर दर्ज होगी और विजिलेंस इस मामले में एसआईटी बना कर जांच करेगा। यह भी पाया गया है कि अधिकतर मामलों में पुलिस ने तस्करी में संलिप्त ट्रक चालकों पर एफआईआर दर्ज की है। ऐसे करीब 200 मामले सामने आए हैं। जिससे यह प्रतीत होता है कि यह पुलिस और आबकारी विभाग की साठगांठ है। अब इस मामले में जांच होगी तो यह भी निकल कर सामने आएगा कि यह माल किसका था।
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कदम-कदम पर लापरवाही
2011-12 से यह लिखा जाता रहा है कि एक्साइज पॉलिसी के तहत डिस्टलरी में कैमरे लगाए जाएं, लेकिन न तो कैमरे लगे और जहां लगे भी वहां के कैमरों की फीड सरकार तक नहीं पहुंची। न ही सरकार ने कभी मानीटर किया कि उनके पास फीड क्यों नहीं आई। इस तरह की कार्यप्रणाली के कारण भी शराब घोटाला परवान चढ़ा। पता ही नहीं चला कि कितने ट्रक शराब निकली और कहां गई।
एसईटी ने की कई अधिकारियों से बात
इस मामले में एसईटी ने कई अधिकारियों से बात की है। मामले में आईपीएस जश्नदीप रंधावा से भी बात की गई है। उनके अलावा प्रतीक्षा गोदारा और शेखर विद्यार्थी से बात की गई है। इन तीन अधिकारियों के अलावा प्रदेश में तैनात करीब हर एक डीईटीसी से बात की गई है। सभी अधिकारियों से बातचीत के बाद एसईटी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि हरियाणा में लाकडाउन के दौरान शराब तस्करी धड़ल्ले से हुई।
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