सत्य खबर हरियाणा।
हरियाणा में अनुसूचित जातियों पर हो रहे अत्याचार को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं हैं। इस बात की पुष्टि उनके ढुलमुल रवैये से होती है। विधानसभा की एससी-बीसी कमेटी ने प्रदेश के अधिकारियों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी तो एसपी आधी-अधूरी रिपोर्ट लेकर पहुंचे। बुधवार को करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल के एसपी कमेटी के सामने पेश हुए। उन्हें दोबारा से बुलाया गया है। इसके पहले पंचकूला और अंबाला के पुलिस अधिकारियों को बुलाया गया था। यह अधिकारी भी पूरी जानकारी लेकर नहीं पहुंचे थे। कमेटी ने इस मामले में दो सप्ताह का समय दिया है। अब अगली बार हिसार, भिवानी और चरखी दादरी के पुलिस अधीक्षकों को पेश होना है। रिपोर्ट में कमेटी को यह बताना होगा कि किस जिले में दलितों पर अत्याचार से संबंधित कितने मामले आए। यह मामले किस धारा के तहत दर्ज किए गए और कार्रवाई कितने मामलों में हुई। यह भी बताना होगा कि मामलों में सरकार की ओर से दिए जाने वाले मुआवजे की क्या स्थिति है।
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दस साल के आंकड़े मंगवाए
विधानसभा कमेटी ने पुलिस अधिकारियों से दस साल के आंकड़े मांगे, अधिकारी मात्र तीन साल के आंकड़े लेकर पहुंचे। ऐसे में उन्हें पिछले दस साल के आंकड़े लाने के लिए कहा है।
अफसर मुझे नहीं बरगला सकते: चेयरमैन
कमेटी के चेयरमैन ईश्वर सिंह के मुताबिक, कैथल जिले में ही दुष्कर्म और हत्या से संबंधित करीब 40 मामलों की फाइलें धूल फांक रही हैं। ईश्वर सिंह का कहना है कि वह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य रह चुके हैं, लिहाजा अधिकारी उन्हें ऐसे मामलों में बरगला नहीं सकते।
अपराध की श्रेणी में
आगजनी, दुष्कर्म, अपमानित करना, जातिसूचक शब्द कहना, दासी प्रथा, मैला ढोना, कब्जा करना, सामूहिक दुष्कर्म, बहिष्कार करना आदि।
मैंने पुलिस अधिकारियों से डिटेल रिपोर्ट मांगी है। एसपी आधी-अधूरी रिपोर्ट लेकर पहुंचे थे। मैंने उन्हें दो सप्ताह का समय दिया है।
– ईश्वर सिंह,अध्यक्ष, एससी-बीसी कमेटी
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