सत्य खबर चंडीगढ़
जिला उपभोक्ता फोरम 20 जुलाई के बाद से जिला उपभोक्ता आयोग बन जाएगा। जिला स्तर पर ही 1 करोड़ रुपए तक के मुआवजे के मामले तय हो पाएंगे। अभी तक यह सीमा 20 लाख है। वहीं,राज्य उपभोक्ता आयोग अब 1 करोड़ के बजाय 10 करोड़ तक का मुआवजा निर्धारण कर पाएगा। 10 करोड़ से ऊपर की रकम के विवाद राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के समक्ष रखे जा सकेंगे। उपभोक्ता मामले,खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से 15 जुलाई को अधिसूचना जारी हो गई है। उपभोक्ताओं को फीस मामले में भी राहत दी है।
अब 5 लाख रुपए तक मुआवजा के विवाद में कोई फीस नहीं देनी होगी। 5 से 10 लाख रुपए तक 200 रुपए, 10 से 20 लाख तक 400 रुपए, 20 से 50 लाख तक 1 हजार रुपए व 50 लाख से 1 करोड़ तक के विवाद में 2 हजार रुपए शुल्क लिया जाएगा। राज्य आयोग में 1 से 2 करोड़ तक 2,500 रुपए, 2 से 4 करोड़ तक के हर्जाना मामलों में 3 हजार रुपए, 6 से 8 करोड़ रुपए तक के मामले में 5 हजार रुपए व आठ से 10 करोड़ तक के केस में 6 हजार रुपए शुल्क तय किया गया है, जबकि राष्ट्रीय आयोग में लगाए जाने वाले 10 करोड़ रुपए से अधिक हर्जाना के मामलों के लिए 7500 रुपए शुल्क तय किया गया है। अब जहां उपभोक्ता रहता है वहां भी याचिका डाल सकेगा। पहले जहां से सामान खरीदा है या विक्रेता का प्रतिनिधि है,वहीं याचिका डाल सकते थे।
सदस्यों का कार्यकाल घटाया
5 की बजाय 4 साल होगा। दोबारा भी 4 साल के लिए नियुक्ति हो सकेगी। सेवानिवृति 65 साल में होगी।
चयन समिति भी बदली
कंज्यूमर कमिशन के सदस्यों के चयन के लिए बनने वाली कमेटी में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या उनकी ओर से नामित प्रतिनिधि,चीफ सेक्रेटरी का प्रतिनिधि व सेक्रेटरी टू द कंज्यूमर अफेयर होंगे।
आयोग की शक्तियां बढ़ीं
कोई बही खाता,दस्तावेज, वस्तु किसी के नियंत्रण एवं संरक्षण में है और केस की प्रोसिडिंग के मकसद से उसे आयोग के समक्ष पेश करना अपेक्षित है,तो ऐसे मामले में आयोग की तरफ से तय किए अधिकारी को यह सुपुर्द करना पड़ेगा।
ऐसी कोई सूचना जिसकी केस की प्रोसिडिंग के दौरान जरूरत है, उसे आयोग की तरफ से तय किए अधिकारी को उपलब्ध कराना पड़ेगा।
ऐसी कोई जानकारी, बही-खाता, दस्तावेज जिसकी केस की प्रोसिडिंग के दौरान छिपाई जा रही है या फिर सही प्रस्तुत नहीं की जा रही, उसमें आयोग किसी कार्यालय परिसर में खोजबीन व जब्ती के लिए अधिकारी को नियुक्त कर सकता है। जब्त किए गए दस्तावेजों बारे लिखित रूप में कारणों का उल्लेख करते हुए 72 घंटों के भीतर राज्य व राष्ट्रीय आयोग को सूचित करना पड़ेगा।
ऐसे उपभोक्ता जिनको क्षतिपूर्ति के लिए उनकी की पहचान नहीं हो रही हो तो आयोग की तरफ से तय की हर्जाना राशि सरकार की तरफ से तय उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराई जाएगी।
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