सत्यखबर, गोहाना
पहलवानी के सरताज योगेश्वर दत्त राजनीतिक अखाड़े में कुश्ती की तरफ बेहतर दांवपेंच लगाते हुए आगे बढ़ रहा हैं। वे कुश्ती की तरह राजनीति में भी दांवपेंच लगा कर अपने प्रतिद्वंद्वियों को मात दे चुके हैं। बरोदा हलका के उप चुनाव में दांवपेंच लगा कर टिकट हासिल करने और चुनाव जीतने में सफल हो पाएंगे या नहीं यह फिलहाल लोगों में व्याप्त चर्चा का विषय बना है।
कुश्ती में जीता था कांस्य पदक 2012 में
बता दे की लंदन ओलंपिक में 2012 में कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाले योगेश्वर दत्त ने साल भर पहले नौकरी छोड़ कर राजनीति अखाड़े में कदम रखा था। 2019 के उप चुनाव से ठीक पहले जजपा छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए डॉ. कपूर सिंह नरवाल की बरोदा हलका से टिकट पक्की मानी जा रही थी। डॉ. नरवाल के अलावा पंडित उमेश शर्मा, रविंद्र जागलान, विशाल मलिक, भूपेंद्र मोर, भलेराम नरवाल सहित कई नेता भी टिकट की दौड़ में थे। उसी समय योगेश्वर ने डीएसपी की नौकरी छोड़ भाजपा में एंट्री की और पहले की झटके में शानदार दांव लगाते हुए टिकट भी हासिल की। बरोदा हलका पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है। योगेश्वर दत्त चुनाव भले ही हार गए, लेकिन शानदार तरीके से प्रदर्शन करते हुए 37726 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे। पहली बार भाजपा को बरोदा हलका में इतने अधिक वोट मिले थे। 2014 के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी बलजीत मलिक लगभग दस हजार वोटों पर ही सिमट गए थे।
कड़ी मेहनत करना योगेश्वर दत्त की आदत है
कड़ी मेहनत करना योगेश्वर दत्त की आदत में शुमार है। बचपन से ही वे कड़ी मेहनत करते आए हैं। 1999 में पोलैंड में वल्र्ड कैडेट चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। 2004 व 2008 के ओलंपिक में लगातार दो बार हारने के बाद उनकी हिम्मत नहीं टूटी और मेहनत के बलबूते पर 2012 में लंदन ओलंपिक में पदक जीता। उन्होंने 2016 में ओलंपिक में भाग लिया लेकिन हार गए थे।
योगेश्वर दत्त ने साल भर पहले नौकरी छोड़ दी थी। अब वे गांव बलि ब्राह्मणान में कुश्ती अकादमी चलाते हैं। वे वहां कुश्ती का प्रशिक्षण देते हैं और उसके बाद राजनीति मैदान में कूद पड़ते हैं। वे रोजाना दो से तीन गांवों में पहुंच कर लोगों से संपर्क करते हैं। लोगों की शिकायतें सुनते हैं उनके समाधान का प्रयास करते हैं।
दंगल के सरताज योगेश्वर दत्त राजनीतिक अखाड़े में कुश्ती की तरफ बेहतर दांवपेंच लगाते हुए आगे बढ़ रहा हैं। वे कुश्ती की तरह राजनीति में भी दांवपेंच लगा कर अपने प्रतिद्वंद्वियों को मात दे चुके हैं। बरोदा हलका के उप चुनाव में दांवपेंच लगा कर टिकट हासिल करने और चुनाव जीतने में सफल हो पाएंगे या नहीं यह फिलहाल लोगों में व्याप्त चर्चा का विषय बना है।
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