सत्य खबर चंडीगढ़।
चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग पर सरकार हरकत में आ गई है। मुख्य सचिव कार्यालय ने योजना के ड्राफ्ट पर परिवहन,श्रम,ऊर्जा,स्वास्थ्य व वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिवों व प्रधान सचिवों से डिटेल रिपोर्ट मांगी है। सर्व कर्मचारी संघ ने 3 जून को पुरानी योजना का ड्राफ्ट सरकार को सौंपा था। सरकार के हरकत में आने से प्रदेश के करीब डेढ़ लाख एनपीएस कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल होने की आशा जगी है। मुख्य सचिव कार्यालय के पत्र पर ऊर्जा विभाग ने अपने सभी प्रबंध निदेशकों से कर्मचारियों का ब्योरा तलब किया है। उठाए गए कदमों की प्रति संघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी को भी भेजी गई है।
सुभाष लांबा ने बताया कि 28 अप्रैल को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ कर्मचारी संगठनों की वीडियो कांफ्रेंसिंग में संघ ने पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा उठाया था। मीटिंग में उन्हें इसका ड्राफ्ट तैयार कर देने की जिम्मेदारी दी गई थी। 3 जून को उन्होंने ड्राफ्ट भेजा था, जिस पर सरकार आगे बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन हासिल करने के लिए एनपीएस कर्मचारियों की बजाए सभी कर्मचारियों को एकजुट होकर आंदोलन चलाना होगा।
न्यू पेंशन प्रणाली पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने की नीति: संघ
लांबा व सतीश सेठी ने कहा कि सरकार को एनपीएस से होने वाले नुकसान ओर पुरानी पेंशन लागू करने से होने वाले फायदों की गणना कर प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें जनवरी 2006 के बाद प्रदेश में नियुक्त कर्मचारियों की संख्या अनुमानत: 1.40 लाख व उनका औसत मासिक वेतन 40500 रुपये मानकर नुकसान व फायदे की पूरी गणना भेजी है। गणना के अनुसार सरकार को इन कर्मचारियों का 10 प्रतिशत के हिसाब से पेंशन शेयर 56.70 करोड़ रुपये हर महीने जमा करवाना पड़ता है। यह राशि सालाना 680.40 करोड़ रुपये बनती है। यदि इन कर्मचारियों पर पुरानी पेंशन नीति लागू कर दी जाए तो सरकार के पास यह राशि सीधे रूप से बच सकती है। सर्व कर्मचारी संघ ने कहा कि वास्तव में न्यू पेंशन प्रणाली (एनपीएस) शेयर मार्केट के जरिए पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने की नीति है। उम्मीद है कि सरकार पुरानी पेंशन बहाली पर जल्द निर्णय लेकर कर्मचारियों के साथ न्याय करेगी।
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