सत्य खबर हरियाणा
बरोदा के उपचुनाव की जंग में दूसरी पार्टियों से पहले गठबंधन सरकार में सहयोगी बीजेपी और जेजेपी में जंग होती दिखाई दे रही है। हरियाणा के लोगों को यह जंग दोनों पार्टियों में टिकट को लेकर देखने को मिल सकती है। बरोदा में चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा को जेजेपी बड़ा झटका दे सकती है। इस उपचुनाव की चर्चाओं के साथ ही यह चर्चा भी चल पड़ी थी कि बरोदा में भाजपा और जेजेपी में से कौन सी पार्टी का उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरेगा। हालांकि दोनों ही पार्टियां एकजुट होकर चुनाव लड़ने के दावे कर रही हैं लेकिन अंदर खाते एक बड़ा द्वंद छिड़ा हुआ है । भाजपा अपने पुराने उम्मीदवार योगेश्वर दत्त को चुनाव मैदान में आगे बढ़ा रही है तो वही जेजेपी अंदर खाते एक बड़ा खेल खेलने की तैयारी में है। अब यह खेल क्या है यह हम आपको विस्तार से बताते हैं।
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दरअसल दुष्यंत चौटाला के अमित शाह के दरबार में सीधे संबंध है और वे अपनी ज्यादातर बातें अमित शाह से ही पूरी करवाते हैं तो वही दुष्यंत चौटाला अमित शाह की हर बात को भी मानते हैं या यूं कहें अमित शाह और दुष्यंत के रिश्ते कहीं ना कहीं हरियाणा भाजपा और अमित शाह के रिश्तो से ज्यादा अच्छे दिखाई देते हैं। सूत्रों से खबर यह आ रही है कि जेजेपी बरोदा सीट के लिए सीधे अमित शाह से मांग कर सकती है। अपनी मांग को लेकर दुष्यंत चौटाला के पास राजीव शाह कारण भी है।
अमित शाह के कहने पर दुष्यंत चौटाला ने दिल्ली चुनाव में अपना कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतारा था अर्थात उन्होंने वहां पर चुनाव नहीं लड़ा था। अमित शाह के कहने पर ही दुष्यंत चौटाला ने राज्यसभा के लिए अपना कोई कैंडिडेट नहीं खड़ा किया था। और अमित शाह के आश्वासन पर ही दुष्यंत चौटाला ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था। अब दुष्यंत चौटाला अमित शाह के सामने यह अपील कर सकते हैं कि हमने गठबंधन धर्म निभाया हर जगह आप का साथ दिया तो ऐसे में हमारे उम्मीदवार को टिकट दी जाए।
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अपनी पार्टी के लिए टिकट का बड़ा दावा दुष्यंत चौटाला इसलिए भी कर सकते हैं क्योंकि जे जे पी का ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा प्रभाव है ।अमित शाह द्वारा जे जे पी को बीजेपी के साथ जोड़ने का मकसद भी यही था कि ग्रामीण वोट बैंक उनके साथ जुड़ा रहे। इसके साथ जेजेपी यह भी दावा कर सकती है कि बरोदा में उनकी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और उनकी पार्टी को जो वोट मिली वह भाजपा के उम्मीदवार को मिली वोट से ज्यादा कम नहीं थी।
बरोदा उपचुनाव के ज्यादातर समीकरण अभी यही बताते हैं कि बीजेपी की टिकट पर जे जे पी का वोट बैंक चढ़ता दिखाई नहीं दे रहा लेकिन अगर जेजेपी के कैंडिडेट को टिकट मिलती है तो बीजेपी यहां से सीट निकालने में सक्षम हो सकती है क्योंकि जाट वोट बैंक पोलो राइस हो सकता है। खैर अब जेजेपी अपने इन दावों से अमित शाह को कितना प्रभावित कर पाती है यह आने वाला वक्त बताएगा लेकिन अगर जेजेपी यह चुनाव नहीं लड़ते हैं तो पिछले चुनाव में उसे मिले वोट बैंक में इनेलो और कांग्रेस की सेंधमारी तय है ।
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