सत्य खबर पानीपत
बिंझौल के 3 बच्चों की हत्या के 22 दिन बाद गुरुवार को पुलिस के लाठीचार्ज में मृतक बच्चों की माताएं बुरी तरह जख्मी हुईं। पुलिस ने इन तीनों पर इस तरह ताबड़तोड़ लाठियां बरसाई कि ये दूसरे दिन शुक्रवार को चलने लायक भी नहीं रहीं। मृतक बच्चे अरुण की मां सुनीता और लक्ष्य की मां शकुंतला तो दूसरे के कंधों के सहारे चल पा रही हैं। चलने-फिरने में हो रहे असहनीय दर्द के कारण वे चींख पड़ती हैं तो कई बार मुंह के हावभाव से उनके दर्द का एहसास हो जाता है। जबकि तीसरे बच्चे वंश की मां निर्मला को मामूली चोट आई है।
तीनों कहती हैं कि 22 दिन से हम सिर्फ एक ही मांग कर रहे थे कि हमारे बच्चों की हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार करो। जब हमें न्याय नहीं मिला तो लघु सचिवालय के सामने धरना देने जा रहे थे। लेकिन पुलिस ने हम लोगों को सड़कों पर रोककर बुरी तरह पीटा। हम इंसाफ मांगने गए थे।हमारी आवाज दबाने के लिए पुलिस ने यह बर्बरता की है। हम गरीब हैं, इसलिए सुनवाई नहीं हो रही हैं। इंसाफ मांगने के बदले में पुलिस लाठी बरसा रही है। कोई यह तो बताए कि 500 से ज्यादा लोगों पर हत्या की कोशिश का केस दर्ज करने और अत्याचार करने वाली पुलिस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
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गिरफ्तार भाई को दवा तक नहीं देने दी
पुलिस ने गांव के अशोक को गिरफ्तार किया था। बहन प्रीति ने बताया कि भाई को दौरे पड़ते हैं। उनकी दवा चल रही है। गिरफ्तारी के बाद रात को दवा देने गए तो पुलिस ने दवा नहीं देने दी। बीमारी के कागज भी दिखाए तब भी वे नहीं माने। सुबह भाभी भी दवा देने गई पर पुलिस ने एक बात नहीं सुनी।
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