सत्यखबर चंडीगढ़
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत जहां राज्य को खुले में शौच-मुक्त किया गया, वहीं अब महाग्राम योजना के तहत बड़े गांवों की गलियों को कूड़ा-करकट व गंदगी से मुक्त करने की तैयारी है। प्रदेश सरकार द्वारा आगामी 15 अगस्त 2020 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फरीदाबाद जिला के सोतई गांव से महाग्राम योजना के तहत हुए विकास कार्यों का उद्घाटन कर स्वच्छता के क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरूआत की जाएगी। उस दिन सोतई गांव को स्वच्छता-रूपी ‘आजादी’ यानी गंदगी से मुक्ति मिल जाएगी।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रदेश में महाग्राम योजना की समीक्षा के लिए जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी तथा विकास एवं पंचायत विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मंत्रणा की और योजना के तहत चल रहे प्रगति कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने चालू कार्य में आने वाली दिक्कतों को दूर कर उस कार्य को जल्द संपूर्णता की ओर ले जाने के निर्देश दिए। साथ ही, उपमुख्यमंत्री ने सीवरेज सिस्टम के साथ सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तथा गोबर के निस्तारण के लिए बायोगैस प्लांट लगाने की संभावनाओं को भी तलाशने के निर्देश दिए।
बैठक में डिप्टी सीएम ने बताया गया कि राज्य में ग्रामीण क्षेत्र के उन गांवों के लिए महाग्राम योजना शुरू की गई थी जिनकी आबादी 10,000 से ज्यादा हो। इस योजना के तहत इन गांवों में शहरों की तर्ज पर सीवरेज सिस्टम चालू करना है और इसमें 129 गांवों का चयन किया गया है। उन्होंने बताया कि तत्पश्चात ग्राम पंचायत के लोगों, कुछ विषय विशेषज्ञों तथा विकास एवं पंचायत विभाग के अलावा अन्य संबंधित विभागों के साथ मिलकर एक वर्कशॉप आयोजित की गई, साथ ही उन क्षेत्रों का अध्ययन किया गया जहां पर गांवों में सीवरेज सिस्टम पहले से चल रहे हैं। यह भी जानकारी दी गई कि वर्तमान में 20 गांवों में महाग्राम योजना पायलट के तौर पर प्रथम चरण में है जबकि 38 गांवों में दूसरे तथा 71 गांवों में तीसरे चरण में है।
दुष्यंत चौटाला ने योजना की विस्तार से जानकारी लेने के बाद कहा कि महाग्राम योजना में ऐसा कार्य होना चाहिए कि जिस गांव में इस योजना के तहत सीवरेज सिस्टम लगे, वहां सफाई-व्यवस्था इतनी दुरूस्त हो कि लोगों को लगे कि वास्तव में यह महाग्राम ‘महान’ ग्राम बन गया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सीवरेज सिस्टम के साथ-साथ उस गांव में सॉलिड ट्रीटमैंट प्लांट (एसटीपी) तथा हिसार जिला के नया गांव की तर्ज पर बायोगैस प्लांट लगाने की संभावनाओं की भी तलाश करें ताकि पशुओं के गोबर का भी समाधान हो जाए। इससे लोगों को रसोई के लिए सस्ती बायोगैस उपलब्ध होगी तथा तेल व गैस के मामले में देश आत्मनिर्भरता की तरफ और तेजी से कदम बढ़ाएगा।
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