सत्य खबर चंडीगढ़
हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले की 80 दिन की जांच के बाद सरकार के हाथ कुछ खास नहीं लगा। सीनियर आइएएस अधिकारी टीसी गुप्ता के नेतृत्व वाले विशेष जांच दल (एसईटी) ने करीब दो हजार पन्नों की अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है,लेकिन इससे घोटाले के बड़े खिलाडि़यों व सफेदपोश नेताओं पर कोई आंच आने की संभावना नहीं है। बस छोटी मछलियों का ही शिकार होगा।
लॉकडाउन के दौरान करोड़ों का शराब घोटाला
गृह सचिव विजयवर्धन और मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंपी गई इस जांच रिपोर्ट का वजन करीब 15 से 20 किलो है। गृह मंत्री अनिल विज ने जांच रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की है, लेकिन साथ ही कहा कि अभी इसका अध्यनन किया जाएगा। उसके बाद सरकार एसईटी की जांच के बिंदुओं को बता पाने की स्थिति में होगी। हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान करोड़ों रुपये की अवैध शराब बेची गई थी। शराब के इस अवैध कारोबार में आबकारी एवं कराधान विभाग तथा पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे। अनिल विज के संज्ञान में जब शराब के अवैध धंधे की जानकारी आई तो उन्होंने विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) के जरिये जांच की सिफारिश मुख्यमंत्री कार्यालय को की।
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रिपोर्ट में दब गई बड़े घोटालेबाजों की करतूत
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एसआइटी बनाने की बजाय एसईटी के गठन की अधिसूचना जारी कर दी। विज अपने पसंदीदा अधिकारी अशोक खेमका से इस घोटाले की जांच कराना चाहते थे,लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस काम के लिए टीसी गुप्ता को चुना। एसईटी में आबकारी एवं कराधान विभाग के एडीशनल कमिश्नर विजय सिंह और एड़ीजीपी रैंक के आइपीएस अधिकारी सुभाष यादव को शामिल किया।
एसईटी को नहीं मिला आबकारी एवं कराधान तथा पुलिस विभागों से पूरा सहयोग
सुभाष यादव 30 जून को रिटायर हो चुके। विज के सामने जब एसइटी की कम पावर का मुद्दा उठा तो विशेष आदेश जारी कर गृह सचिव ने एसइटी को एसआइटी के समान पावर प्रदान कर दी। सुभाष यादव के स्थान पर एडीजीपी से डीजीपी बन चुके मोहम्मद अकील को एसईटी में शामिल किया गया। हरियाणा में सबसे पहले सोनीपत के खरखौदा में शराब घोटाला पकड़ा गया,जहां गोदाम से आबकारी एवं कराधान विभाग तथा पुलिस की रखी हुई शराब लॉकडाउन में ही बेच दी गई। धीरे-धीरे फतेहाबाद, सोनीपत, गुरुग्राम, अंबाला, फरीदाबाद, यमुनानगर, झज्जर, हिसार और सिरसा समेत विभिन्न जिलों में लॉकडाउन के दौरान अवैध रूप से शराब की बिक्री के मामले उजागर होने लगे।
शराब ठेकेदारों का स्टाक नहीं मिला,जिसे भारी कीमतों पर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बेच दिया गया। इस काम में आबकारी व पुलिस विभाग के अधिकारियों की भूमिका काफी संदिग्ध रही। पुलिस ने शराब घोटाले के मास्टर माइंड भूपेंद्र सिंह को चंडीगढ़ से गिरफ्तार कर उससे काफी पूछताछ की। तब उसको राजनीतिक संरक्षण की बातें भी सामने आई।
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एसईटी प्रमुख टीसी गुप्ता ने गृह सचिव विजयवर्धन को रिपोर्ट सौंपने के बाद इस बारे में कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया,लेकिन सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट भले ही काफी मोटी है, लेकिन इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसमें शराब माफिया, राजनेताओं और पुलिस व आबकारी तथा कराधान विभाग के अधिकारियों के गठजोड़ को उजागर किया गया है। रिपोर्ट में सामान्य तौर पर छोटी-मोटी सिफारिशें की गई हैं और निचले स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है, लेकिन बड़े मगरमच्छ और राजनेताओं के साथ अधिकारियों को बचाने के संकेत मिल रहे हैं।
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पुलिस और आबकारी विभागों के असहयोग से बचेंगे बड़े मगरमच्छ
हरियाणा सरकार ने लॉकडाउन के चलते 11 मई को टीसी गुप्ता के नेतृत्व में एसईटी का गठन किया था। इस घोटाले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए गए। बताया जाता है कि जांच में एसईटी को न तो पुलिस ने उम्मीद के मुताबिक सहयोग किया और न ही आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों ने मांगे गए सारे दस्तावेज उपलब्ध कराए। इन दोनों विभागों के असहयोगात्मक रवैये का जिक्र एसईटी की रिपोर्ट में किया गया बताया जाता है। उनके असहयोग की वजह से ही बड़े मगरमच्छों के बचने का रास्ता तैयार हो गया है। बता दें कि पूरे मामले की जांच को लेकर तीन बार डीएसपी का तबादला हो चुका और एसएचओ को सस्पेंड भी किया गया।
लाकडाउन में शराब घोटाले का घटनाक्रम
23 मार्च हरियाणा में लॉकडाउन
25 मार्च शराब ठेके बंद करने के आदेश
31 मार्च शराब ठेकेदारों का कार्यकाल समाप्त
20 अप्रैल खरखौदा में शराब घोटाला उजागर
1 मई कई जिलों के मालखाने से शराब गायब
11 मई एसईटी का गठन
30 मई आइपीएस सुभाष यादव सेवानिवृत
31 मई मोहम्मद अकील एसईटी में शामिल
31 मई एसईटी का कार्यकाल बढ़ाया
31 जुलाई एसईटी प्रमुख ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
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